क्या इस बार का आम चुनाव नरेंद्र मोदी पर जनमत संग्रह है?
भाजपा ने अधिकांश मौजूदा सांसदों के टिकट काटे, प्रचार और घोषणा पत्र में बड़े चेहरे गायब।
2019 का लोकसभा चुनाव 7 चरणों में हो रहा है। अब तक 2 चरण के मतदान हो चुके हैं और 5 चरण के मतदान होने बाकी है। लोकसभा में कुल 543 सीटें है और बहुमत के लिए 272 सीटों की जरूरत पड़ती है।
कुल 7 चरणों में होंगे मतदान
यह चुनाव सात चरणों में होगा। पहले चरण के लिए 11,दूसरा 18, तीसरा 23, चौथा 29 अप्रैल, पांचवे चरण के लिए 6, छठवें के लिए 12 और सातवें चरण के लिए 19 मई को वोट डाले जाएंगे।
- पहले चरण में 20 राज्यों की 91 सीटें,
- दूसरे चरण में 13 राज्यों की 97 सीटें,
- तीसरे चरण में 14 राज्यों की 115 सीटों पर,
- चौथे चरण में 9 राज्यों की 71 सीटें,
- पांचवे चरण में 7 राज्यों की 51 सीटें,
- छठवें चरण में 7 राज्यों की 59 सीटें और
सातवे चरण में 8 राज्यों की 59 सीटों पर मतदान होगा
2014 के चुनाव में भाजपा ने जीते थे 282 सीटें
2014 के लोकसभा चुनाव में यूपीए सरकार के प्रति लोगों में बहुत गुस्सा था इस कारण भाजपा 282 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। 2014 के चुनाव में भाजपा को 282 सीटें, भाजपा के सहयोगी पार्टियों को 54 सीटें मिली थीं, कुल 336 सीटों के साथ एनडीए ने सरकार बनाया। वहीं कांग्रेस को 44 सीटें मिली थीं।
2019 का लोकसभा चुनाव मोदी पर जनमत संग्रह
2014 के चुनाव या उसके पहले हुए लोकसभा बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, भुखमरी आदि मुद्दों पर ही लडा जाता था लेकिन इस बार ऐसा नही है। इस बार तो मोदी हैसबसे बडा फैक्टर है, भाजपा के संकल्प पत्र में केवल नरेंद्र मोदी का चित्र है सभी बड़े नेताओं के चित्र गायब हैं जबकि पिछले चुनावों के घोषणा पत्रों में सभी बड़े नेताओं के चित्र छापे जाते थे। वहीं पार्टी के सम्मेलनों में भी वरिष्ठ नेताए नहीं दिखते। भाजपा का इस बार का चुनावी नारा भी मोदी पर ही केन्द्रित है- मोदी है तो मुमकिन है। भाजपा सरकार के इन 5 सालों में ऐसा कोई उपलब्धि नहीं है जिसे वह बखान कर सके और उस मुद्दे पर चुनाव लड़ सके सिवाय सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक के। भाजपा के पास कोई मुद्दा ही नहीं है जिसमें वो चुनाव लड़ सके। इस कारण भाजपा सभी मुद्दों को दरकिनार करके मोदी को आगे लाया है, इसके पीछे एक कारण मोदी का दमदार छवि, बातों से लोगों का दिल जीत लेना और हवा का रुख अपने तरफ मोड़ लेने का गुण मोदी को आगे लाने का कारण है। मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के रूप में प्रचार किए गए प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्जवला योजना, जनधन योजना की बात आज नहीं हो रहा क्युकी ये प्रोजेक्ट इतने सफल नहीं हो पाए जितना कि सोचा गया था।मोदी ने कुछ अच्छी योंजनाए लॉन्च तो की साथ ही लोगो की मेहनत से कमाई व्हाइट पैसे को और अर्थव्यवस्था को बरबाद करने वाले नोटबंन्दी और जीएसटी लॉन्च की। इस चुनाव में भापजा सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक के नाम पर वोट मांग रही है। भाजपा ने सरकार में आने से पहले कहा था कि उनकी पार्टी देश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाएगी लेकिन भाजपा के शासन काल में देश की अर्थव्यवस्था बहुत धीमी गति से बढ़ रही है।2014 के चुनाव में भापजा ने बहुत बड़े बड़े वादे किए थे जिन्हें पूरा नहीं किया गया और आज उन वादों को भुला दिया गया है, शायद इन्हीं वजहों से भाजपा मूल मुद्दों को भूलकर मोदी को आगे खड़ा करके चुनाव लद रही है।