गुरुवार, 30 मई 2019

वायुसेना और इसरो के बीच समझौता हुआ 2022 तक 3 भारतीय अंतरिक्ष की सैर करेगें

  • वायुसेना और इसरो के बीच समझौता हुआ 2022 तक 3 भारतीय अंतरिक्ष की सैर करेगें

  • मानव मिशन के लिए वायुसेना ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के साथ समझौता किया है। वायुसेना की ओर से बुधवार शाम ट्वीट कर इसकी जानकारी दी गई। मिशन गगनयान के तहत इसरो 2021-22 तक तीन भारतीयों को अंतरिक्ष में भेजेगा। इसरो और वायुसेना इन तीनों अंतरिक्ष यात्रियों का चयन करेंगे और उन्हें ट्रेनिंग देंगे।भारतीय वायुसेना सिर्फ क्रू मेंबरों का चुनाव नहीं करेगी, बल्कि उन्हें प्रशिक्षण भी देगी।
  • ISRO and Air Force compromise for Gagan Yan Mission, gagan Yan mission


  • ISRO चीफ के. सिवन ने बताया कि क्रू को पहले 2 चरण की ट्रेनिंग एयरफोर्स ही देगी। आखिरी चरण की ट्रेनिंग विदेश में होगी, वायुसेना गगन यान मिशन के लिए 10 क्रू मेंबरों का चयन करेगी। 10 क्रू मेंबरों में 3 का  फाइनल सिलेक्शन होगा। कुछ समय पहले यह कहा जा रहा था कि 3 अंतरिक्ष यात्रियों में से एक महिला हो सकती है।
  • इसरो प्रमुख के सिवन की मौजूदगी में वायुसेना के एवीएम आरजीके कपूर और गगनयान मिशन के डायरेक्टर आर हट्टन ने मंगलवार को एमओयू पर हस्ताक्षर किए। सिवन ने कहा कि मिशन गगनयान के तहत सबसे पहले 2022 में जीएसएलवी मार्क-III के जरिए दो मानवरहित यान भेजे जाएंगे। इसके बाद तीन भारतीयों को अंतरिक्ष में सात दिन के लिए भेजा जाएगा। यह मिशन सफल रहा तो भारत ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। इससे पहले रूस, अमेरिका और चीन अंतरिक्ष में मानवयान भेज चुके हैं।
  • मोदी कैबिनेट ने 10 हजार करोड़ रु. की मंजूरी दी थी
    मोदी सरकार ने 28 दिसंबर, 2018 को देश के पहले मानव स्पेस फ्लाइट प्रोग्राम (मिशन गगनयान) को मंजूरी दी थी। कैबिनेट बैठक में इसके लिए 10 हजार करोड़ रुपए की मंजूरी दी थी। मिशन को पूरा करने में 9023 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। 
  • इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) के चेयरमैन के. सिवन ने कहा, 'हमने क्रू सिलेक्शन एवं ट्रेनिंग से जुड़े सभी मानदंडों और जरूरतों को तय कर दिया है और इसे इंडियन एयर फोर्स को सौंप दिया गया है। ट्रेनिंग के पहले 2 चरण इंडियन एयरफोर्स के इंस्टिट्यूट ऑफ ऐरोस्पेस मेडिसिन (बेंगलुरु) में होंगे और उसके बाद आखिरी चरण की ट्रेनिंग विदेश में होगी।' के. सिवन ने कहा कि विदेश में ट्रेनिंग के लिए रूस फ्रांस जैसे देशों पर गौर कर रहे हैं लेकिन इस पर अभी फाइनल डिसीज़न नहीं हुआ है।

  • फिलीपींस में नया कानून- ग्रेजुएशन की डिग्री तभी मिलेगी जब छात्र 10 पौधे लगाएंगे

गुरुवार, 25 अप्रैल 2019

चीन से आने वाले दूध प्रोडक्ट पर भारत ने लगाया रोक

चीन से आने वाले दूध प्रोडक्ट पर भारत ने लगाया रोक 
India prohibits imports from China imported milk and made products

विदेशों से आयात होने वाले दूध और इससे बने प्रोडक्ट को लेकर सरकार सख्त हो गई है। फूड रेग्युलेटर एफएसएसएआई ने चीन से आयात होने वाले दूध और इससे बने प्रोडक्ट पर प्रतिबंध लगा दिया है। इससे पहले भी भारत ने चीन से आयात होने वाले दूध और अन्य प्रोडक्ट पर बैन लगाया था। लेकिन वो प्रतिबंध कुछ समय के लिए ही लगाया गया था। एफएसएसएआई ने बताया कि इस बार चीन से आयात होने वाले दूध और इससे बने प्रोडक्ट पर लगाया गया प्रतिबंध तब तक जारी  रहेगा जब तक कि फूड रेग्युलेटर देश के सभी  बंदरगाह लैबोरेट्री को दुरुस्त और आधुनिक नहीं कर लेती।
Milk products India imposed restrictions on milk imported from China and made from it

इन  लैबोरेट्री को कब तक आधुनिक बनाया जाएगा ताकि वह इस तरह के रसायन की जांच की कर सके इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दी गई और ना ही कोई समय सीमा तय किया गया है। चीन से दूध के प्रोडक्ट पर तब प्रतिबंध लगाया गया था जब उसकी कुछ दूध सामग्री में मेलामीन रसायन होने की आशंका हुई थी। मेलामीन  एक खतरनाक जहरीला रसायन है। इसका उपयोग प्लास्टिक और उर्वरक बनाने में किया जाता है। यही कारण है कि भारत चीन से दूध और दूध से बने प्रोडक्ट का आयात नहीं करता है। सुरक्षा उपाय के तौर पर इस तरह के आयात पर प्रतिबंध लगाया गया है।खाद्य क्षेत्र के नियामक एफएसएसएआई ने एक वक्तव्य में कहा कि उसने चीन से दूध और इससे बने उत्पादों पर लगाई गई रोक को तब तक बढ़ाने की सिफारिश की थी जब तक कि बंदरगाहों की प्रयोगशालाओं में खतरनाक रसायन के परीक्षण की सुविधा उपलब्ध नहीं हो जाती है।सरकार ने इस सिफारिश को मानते हुए रोक की समय सीमा तब तक के लिए बढ़ा दी। भारत दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है। देश में सालाना 15 करोड़ टन दूध उत्पादन होता है। 

चीन से दूध और इससे बने प्रोडक्ट के आयात पर सबसे पहले सितम्बर 2008 में रोक लगाई गई थी। इसके बाद से इस रोक को लगातार समय समय पर आगे बढ़ाया जाता रहा है। यह प्रतिबंध अब अनिश्चित काल के लिए लगाया गया है क्यों कि यह तय नहीं किया गया है कि कब तक बंदरगाहों में प्रयोगशालाओं को आधुनिक बनाया जाएगा।

पहले भी चीन पर खाद्य पदार्थों में मिलावट के आरोप लगे हैं

यह पहली बार नहीं हो रहा कि चीन पर खाद्य पदार्थों में मिलावट के आरोप लगे हैं।इससे पहले चीन से आयात होने वाले अंडो तथा अन्य खाद्य पदार्थों में मिलावट की सिकायत किया गया था।चीन से आयात होने वाले अंडे विशेष रासायनिक पदार्थों से बने होते हैं जो कि सेहत के लिए खतरनाक है।

सोमवार, 22 अप्रैल 2019

क्या इस बार का आम चुनाव नरेंद्र मोदी पर जनमत संग्रह है?

क्या इस बार का आम चुनाव नरेंद्र मोदी पर जनमत संग्रह है?
Narendra Modi's Road Show, Election Rally


भाजपा ने अधिकांश मौजूदा सांसदों के टिकट काटे, प्रचार और घोषणा पत्र में बड़े चेहरे गायब।

2019 का लोकसभा चुनाव 7 चरणों में हो रहा है। अब तक 2 चरण के मतदान हो चुके हैं और 5 चरण के मतदान होने बाकी है। लोकसभा में कुल 543 सीटें है और बहुमत के लिए 272 सीटों की जरूरत पड़ती है। 


कुल 7 चरणों में होंगे मतदान
यह चुनाव सात चरणों में होगा। पहले चरण के लिए 11,दूसरा 18, तीसरा 23, चौथा 29 अप्रैल, पांचवे चरण के लिए 6, छठवें के लिए 12 और सातवें चरण के लिए 19 मई को वोट डाले जाएंगे।

  1. पहले चरण में 20 राज्यों की 91 सीटें,
  2. दूसरे चरण में 13 राज्यों की 97 सीटें,
  3. तीसरे चरण में 14 राज्यों की 115 सीटों पर, 
  4. चौथे चरण में 9 राज्यों की 71 सीटें, 
  5. पांचवे चरण में 7 राज्यों की 51 सीटें,
  6. छठवें चरण में 7 राज्यों की 59 सीटें और
सातवे चरण में 8 राज्यों की 59 सीटों पर मतदान होगा


2014 के चुनाव में भाजपा ने जीते थे 282 सीटें
 Congress vs bhajpa



2014 के लोकसभा चुनाव में यूपीए सरकार के प्रति लोगों में बहुत गुस्सा था इस कारण भाजपा 282 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। 2014 के चुनाव में भाजपा को 282 सीटें, भाजपा के सहयोगी पार्टियों को 54 सीटें मिली थीं, कुल 336 सीटों के साथ एनडीए ने सरकार बनाया। वहीं कांग्रेस को 44 सीटें मिली थीं।


2019 का लोकसभा चुनाव मोदी पर जनमत संग्रह

2014 के चुनाव या उसके पहले हुए लोकसभा बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, भुखमरी आदि मुद्दों पर ही लडा जाता था लेकिन इस बार ऐसा नही है। इस बार तो मोदी हैसबसे बडा फैक्टर है, भाजपा के संकल्प पत्र में केवल नरेंद्र मोदी का चित्र है सभी बड़े नेताओं के चित्र गायब हैं जबकि पिछले चुनावों के घोषणा पत्रों में सभी बड़े नेताओं के चित्र छापे जाते थे। वहीं पार्टी के सम्मेलनों में भी वरिष्ठ नेताए नहीं दिखते। भाजपा का इस बार का चुनावी नारा भी मोदी पर ही केन्द्रित है- मोदी है तो मुमकिन है। भाजपा सरकार के इन 5 सालों में ऐसा कोई उपलब्धि नहीं है जिसे वह बखान कर सके और उस मुद्दे पर चुनाव लड़ सके सिवाय सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक के। भाजपा के पास कोई मुद्दा ही नहीं है जिसमें वो चुनाव लड़ सके। इस कारण भाजपा सभी मुद्दों को दरकिनार करके मोदी को आगे लाया है, इसके पीछे एक कारण मोदी का दमदार छवि, बातों से लोगों का दिल जीत लेना और हवा का रुख अपने तरफ मोड़ लेने का गुण मोदी को आगे लाने का कारण है। मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के रूप में प्रचार किए गए प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्जवला योजना, जनधन योजना की बात आज नहीं हो रहा क्युकी ये प्रोजेक्ट इतने सफल नहीं हो पाए जितना कि सोचा गया था।मोदी ने कुछ अच्छी योंजनाए लॉन्च तो की साथ ही लोगो की मेहनत से कमाई व्हाइट पैसे को और अर्थव्यवस्था को बरबाद करने वाले नोटबंन्दी और जीएसटी लॉन्च की। इस चुनाव में भापजा सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक के नाम पर वोट मांग रही है। भाजपा ने सरकार में आने से पहले कहा था  कि  उनकी पार्टी देश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाएगी लेकिन  भाजपा के शासन काल में देश की अर्थव्यवस्था बहुत धीमी गति से बढ़ रही है।2014 के चुनाव में भापजा ने बहुत बड़े बड़े वादे किए थे जिन्हें पूरा नहीं किया गया और आज उन वादों को भुला दिया गया है, शायद इन्हीं वजहों से भाजपा मूल मुद्दों को भूलकर मोदी को आगे खड़ा करके चुनाव लद रही है।

गुरुवार, 18 अप्रैल 2019

क्या हम सब भारतीय सच्चे देशभक्त हैं?

क्या हम भारतीय सच्चे देशभक्त हैं?
हेल्लो दोस्तों मैं हूं पंकज कुमार और  मेरे ब्लॉग  india first pk मे आपका स्वागत है। दोस्तों आज यह मेरा पहला ब्लॉग है और इसके साथ ही आज मै अपने ब्लॉगिंग कैरियर की शुरुआत कर रहा हूं।
  

जैसा कि आप सभी जानते हैं  कि अभी भारत में लोकसभा चुनाव चल रहा है और इस बार के चुनाव में सभी बड़े मुद्दे गायब हो गए हैं इस बार सबसे बड़ा मुद्दा देशभक्ति  का है। मोदी सरकार देशभक्ति के नाम पर विपक्ष पर हमला बोल रहा है  वहीं विपक्ष भ्रष्टाचार, किसानों की स्थिति, बेरोजगारी, राफेल मुद्दे पर सरकार को घेर रहा है। 
देशभक्ति का मुद्दा तब जोर  पकड़ा जब भारतीय सेना  ने  पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक किया।सर्जिकल स्ट्राइक के बाद विपक्ष ने स्ट्राइक के सबूत मांगे थे  तब सरकार ने  विपक्ष पर देशद्रोह और आतंकियों की भाषा बोलने का आरोप लगाया था।  इस बार के चुनाव में सभी बड़े मुद्दे जैसे  राफेल लड़ाकू विमान घोटाला, बेरोजगारी, नोटबंदी, महगांई, किसानों की स्थिति, जीएसटी आदि मुद्दों पर देशभक्ति का मुद्दा हावी है।
Indian Army, Flag of India, Patriotism




क्या  हम वास्तव में देशभक्त हैं?
इस सवाल का जवाब सब हां में देगे लेकिन इस पर सबको गहराई से सोचने की जरूरत है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि हम देश के लिए क्या कर रहे हैं, हम ऐसा कौन सा काम कर रहे हैं जिससे कि देश का भला होता हो। क्या हम संविधान का पालन कर रहे हैं? क्या हम नियम कानून का पालन करते हैं। 90% से ज्यादा लोग नियमों का पालन नहीं करते, तो हम कैसे देश भक्त हैं?
 The constitution of India


क्या कारण हैं जो हमें सच्चा देशभक्त बनने से रोक रहा है।
हम अपने रोजमर्रा की जिन्दगी में ऐसे काम कर जाते हैं जिससे देश को नुकसान होता हो, नियमों का उल्लघंन करते हैं इससे हमें तो फायदा पहुंचता है लेकिन इससे देश को भारी नुकसान होता है। निम्न बाते जो हमे सच्चा देशभक्त बनने से रोक रहा है-
  •  संविधान में निहित नियम और कानून का सही तरीके से पालन न करना।
  • स्वदेशी उत्पादों का उपयोग नहीं किया जाना।
     Boycott of China's products, Baning Chinese goods in India
  • चाइना में बने उत्पाद या चाइनीज कम्पनियों के उत्पाद का उपयोग करना।
  • अपना आय कम बताकर सरकार को टैक्स ना देना, टैक्स चोरी करना।
  • दिनों दिन बढ़ते अपराध।
  • भारत में जन्म लेकर विदेशी नौकरी के लिए विदेशी नागरिकता लेकर विदेश में ही टैक्स भरना।
  • अच्छी खासी सैलरी के लिए देश में नौकरी न करके विदेशी संस्थानों में नौकरी करना।
अपनी मांगो को पूरी करवाने के लिए हिंसा का सहारा लेना, बसो, गाड़ियों, रेल, किसी निर्दोष व्यक्ति के घर को आग देना ।

 इसके कारण देश को हो रहा नुकसान - 
लोग सोचेगे की चाइनीज कम्पनियों के उत्पाद इस्तेमाल करने से कोई कैसे देशद्रोह हो गया लेकिन जरा सोचे चीन हमें कितना नुकसान पहुंचा रहा है। चीन और भारत के बीच 2 बार युद्ध हो चुका है, चीन ने हमारे देश के बहुत बड़े भूभाग पर कब्जा किया हुआ है।चीन हमें नुकसान पहुंचा रहा है वहीं हम लोग चीन को फायदा पहुंचा रहे हैं। स्वदेशी उत्पादों का उपयोग नहीं करने के कारण देश की अर्थव्यवस्था बहुत कम है।  कोई भी व्यक्ति जिसका सपना अंतरिक्ष वैज्ञानिक बनने का हो तो वह इसरो में वैज्ञानिक बनना नहीं चाहता बल्कि उसका सपना नासा में काम करने का होता है। इससे देश का भला कैसे होगा । ये बात देशवासियों को ही तय करना है कि वे देश का विकास, सम्पन्नता, अमीरी देखना चाहते है या गरीबी, भुखमरी, और सर्वनाश..........