गोला - बारूद सुरक्षित रखने के लिए सीमा पर सुरंग बनाएगी सेना
भारतीय सेना अपना गोला बारूद सुरक्षित रखने के लिए जिन सुरंगों को बनाने की कोशिश कई सालों से कर रही थी वह अब जल्द ही बनेगी। इस सुरंग को बनाने के लिए सेना ने एनएचपीसी के साथ समझौता किया है। शुरुआत में 4 सुरंगों का निर्माण किया जाएगा।
सेना लंबे वक्त से पाकिस्तान और चीन बॉर्डर के पास गोला बारूद रखने के लिए सुरंग बनाने की कोशिश कर रहा था लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। सेना ने सुरंग बनाने की कोशिश की थी लेकिन इस क्षेत्र में विशेषज्ञता प्राप्त नहीं होने के कारण सफल नहीं हुए। एनएचपीसी ने पहाड़ों में कई पॉवर प्रोजेक्ट बनाने में सुरंगों का इस्तेमाल किया है। सेना को सबसे ज्यादा खतरा गोला - बारूद के भंडारों पर हमले से होता है। युद्ध के समय ये दुश्मन के सबसे पहले हमलों का निशाना होते हैं। गोला - बारूद सुरंगों में होने की वजह से इन पर हवाई हमलों का कोई असर नहीं पड़ेगा।
सेना ने बताया कि अब पाकिस्तान और चीन की सीमा पर पहाड़ों के अंदर गोला - बारूद के जखीरे रखने के लिए सुरंगे बनाई जाएंगी। इन सुरंगों के निर्माण में 15 करोड़ रुपए की लागत आएगी। हर सुरंग में 2 लाख किलो गोला - बारूद रखा जाएगा। ये 4 सुरंगे 2 साल में बनकर तैयार होगीं। समझौते के अनुसार 2 साल में 15 करोड़ रुपए की लागत से 4 सुरंगे बनाई जाएंगी। 3 सुरंगों का निर्माण चीन से लगती सीमा पर और 1 सुरंग पाकिस्तानी सीमा पर बनाया जाएगा। भारत - चीन सीमा पर 3 सुरंगे सिक्किम, और अरुणाचल प्रदेश के तवांग में बनाए जाएंगे।
चीन भारत से लगती अपनी सरहदी इलाकों में पहले से कई सुरंगों का निर्माण कर चुका है। सुरंगों में गोला बारूद के रख रखाव के मामले में चीन भारत से कहीं आगे है। इन सुरंगों के बन जाने से चीन को यह जवाब मिलेगा कि भारत भी चीन से किसी मामले में कम नहीं है।
भारतीय सेना अपना गोला बारूद सुरक्षित रखने के लिए जिन सुरंगों को बनाने की कोशिश कई सालों से कर रही थी वह अब जल्द ही बनेगी। इस सुरंग को बनाने के लिए सेना ने एनएचपीसी के साथ समझौता किया है। शुरुआत में 4 सुरंगों का निर्माण किया जाएगा।
सेना लंबे वक्त से पाकिस्तान और चीन बॉर्डर के पास गोला बारूद रखने के लिए सुरंग बनाने की कोशिश कर रहा था लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। सेना ने सुरंग बनाने की कोशिश की थी लेकिन इस क्षेत्र में विशेषज्ञता प्राप्त नहीं होने के कारण सफल नहीं हुए। एनएचपीसी ने पहाड़ों में कई पॉवर प्रोजेक्ट बनाने में सुरंगों का इस्तेमाल किया है। सेना को सबसे ज्यादा खतरा गोला - बारूद के भंडारों पर हमले से होता है। युद्ध के समय ये दुश्मन के सबसे पहले हमलों का निशाना होते हैं। गोला - बारूद सुरंगों में होने की वजह से इन पर हवाई हमलों का कोई असर नहीं पड़ेगा।
गोला बारूद को सुरक्षित रख सकेंगे
सुरंग बन जाने से सेना को गोला बारूद रखने के लिए पर्याप्त जगह मिल जाएगी। यह दुश्मन की नजर से तो गोला बारूद को बचाएगी ही साथ ही बमबारी होने पर सीधे अटैक से भी बचाएगी। दुश्मन के सैटेलाइट इसे पकड़ने में नाकामयाब होंगे। सेना इस पायलट प्रोजेक्ट के आधार पर पाकिस्तान और चीन बॉर्डर पर फिर और सुरंग बनाएगी। चीन और अमेरिका के भी इस तरह के सुरंग हैं जिसमें वह अपने गोला - बारूद को सुरक्षित रखते हैं।
4 सुरंगे बनाई जाएंगी 15 करोड़ आएगी लागत
सेना ने बताया कि अब पाकिस्तान और चीन की सीमा पर पहाड़ों के अंदर गोला - बारूद के जखीरे रखने के लिए सुरंगे बनाई जाएंगी। इन सुरंगों के निर्माण में 15 करोड़ रुपए की लागत आएगी। हर सुरंग में 2 लाख किलो गोला - बारूद रखा जाएगा। ये 4 सुरंगे 2 साल में बनकर तैयार होगीं। समझौते के अनुसार 2 साल में 15 करोड़ रुपए की लागत से 4 सुरंगे बनाई जाएंगी। 3 सुरंगों का निर्माण चीन से लगती सीमा पर और 1 सुरंग पाकिस्तानी सीमा पर बनाया जाएगा। भारत - चीन सीमा पर 3 सुरंगे सिक्किम, और अरुणाचल प्रदेश के तवांग में बनाए जाएंगे।
चीन पहले से ही भारत से लगती सीमा पर सुरंग बना चुका
चीन भारत से लगती अपनी सरहदी इलाकों में पहले से कई सुरंगों का निर्माण कर चुका है। सुरंगों में गोला बारूद के रख रखाव के मामले में चीन भारत से कहीं आगे है। इन सुरंगों के बन जाने से चीन को यह जवाब मिलेगा कि भारत भी चीन से किसी मामले में कम नहीं है।
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