अमेरिका ने भारत को जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंसेज (जिसे संक्षेप में जीएसपी कहते है) से बाहर कर दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि भारत को जीएसपी से बाहर करने का आदेश इस महीने के 5 तारीख से लागू हो जाएगा। क्योंकि, भारत अपने मार्केट में अमेरिका को बराबर और अच्छी पहुंच उपलब्ध करवाने का भरोसा नहीं दिया है। ट्रम्प ने 4 मार्च को भारत को जीएसपी से बाहर करने का फैसला किया था। इसके लिए भारत को 60 दिन का नोटिस दिया गया था जो 3 मई को खत्म हो चुका है। जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंसेज (जीएसपी) कार्यक्रम के तहत भारत अपना जो- जो प्रोडक्ट अमेरिका को निर्यात करता है उन पर वहां भारत को आयात शुल्क नहीं चुकाना पड़ता।
जीएसपी कार्यक्रम के तहत इस कार्यक्रम में शामिल विकासशील देशों को अमेरिका में आयात शुल्क से छूट मिलती है। इसके तहत भारत करीब 2000 उत्पाद अमेरिका को निर्यात करता है। इन उत्पादों पर अमेरिका में इंपोर्ट ड्यूटी नहीं लगती। भारत 2017 में जीएसपी कार्यक्रम का सबसे बड़ा लाभार्थी देश था। उसे अमेरिका में 5.7 अरब डॉलर (40,000 करोड़ रुपए) के आयात पर शुल्क में छूट मिली थी।
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अमेरिका का मानना है कि भारत अपने अनेक सामान यूएसए में बिना किसी आयात शुल्क के बेचता है, लेकिन भारत में सामान बेचने के लिए अमेरिका को आयात शुल्क चुकाना होता है। अमेरिका ने कहा कि भारत सरकार के साथ इस मुद्दे पर बातचीत करके इस समस्या का हल निकाला जाएगा।
इस मामले पर भारत का क्या कहना है
भारत को जीएसपी कार्यक्रम से बाहर करने के अमेरिका के फैसले पर भारत ने कहा है कि भारत ने इस समस्या का हल पेश किया था लेकिन अमेरिका ने भारत के प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया। इस तरह के मामलों में अमेरिका और अन्य देशों की तरह भारत भी देशहित का ख्याल रखता है। आर्थिक संबंधों के मामलों में ऐसे मुद्दे बने रहते हैं जिन्हें समय-समय पर दोनों पक्षों के आपसी सहमति से इनका हल निकाला जाता है। भारत को जीएसपी से बाहर करने का मामला भी इसी प्रक्रिया का हिस्सा है। हम अमेरिका के साथ मजबूत रिश्ते जारी रखेंगे।
भारत को जीएसपी कार्यक्रम से बाहर करने के अमेरिका के फैसले पर भारत ने कहा है कि भारत ने इस समस्या का हल पेश किया था लेकिन अमेरिका ने भारत के प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया। इस तरह के मामलों में अमेरिका और अन्य देशों की तरह भारत भी देशहित का ख्याल रखता है। आर्थिक संबंधों के मामलों में ऐसे मुद्दे बने रहते हैं जिन्हें समय-समय पर दोनों पक्षों के आपसी सहमति से इनका हल निकाला जाता है। भारत को जीएसपी से बाहर करने का मामला भी इसी प्रक्रिया का हिस्सा है। हम अमेरिका के साथ मजबूत रिश्ते जारी रखेंगे।
इंजीनियरिंग में उपयोग होने वाले सामान, तकिया-कुशन कवर, उत्पाद। महिलओं के हाथ से बुने हुए कपड़े, ऑटोमोबाइल कंपोनेंट, ऑर्गेनिक केमिकल्स, कृषि, समुद्री और हैंडीक्राफ्ट, फूड, लेदर और प्लास्टिक प्रोडक्ट, बिल्डिंग मैटेरियल प्रोडक्ट, हैंड टूल्स, आदि वस्तुएं भारत अमेरिका को निर्यात करता है।
भारत पर क्या असर पड़ेगा?
अमेरिका ने मार्च में जब भारत को जीएसपी से बाहर करने के फैसला किया था तब भारत के वाणिज्य सचिव अनूप धवन ने कहा था कि इस फैसले से भारत पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा क्योंकि पिछले साल भारत ने जीएसपी के तहत अमेरिका को 560 करोड़ डॉलर (39,200 करोड़ रुपए) के सामान का निर्यात किया। इस पर सिर्फ 19 करोड़ डॉलर के आयात शुल्क की बचत हुई।
इससे अमेरिका पर क्या असर होगा: -
अमेरिका के द्वारा चलाए जा रहे जीएसपी कार्यक्रम के तहत भारत बहुत से वस्तुओं का निर्यात करता है। इससे अमेरिकी कंपनियों को अपने प्रोडक्ट की लागत कम होती है। भारत को जीएसपी से बाहर करने से अमेरिका में अनेक उत्पादों के दाम बढ़ना तय है क्योंकि भारत जो सामान निर्यात करता है उससे अमेरिक कंपनियां अन्य प्रोडक्ट निर्माण करती है।इससे अमेरिकी कंपनियां और उपभोक्ता दोनों प्रभावित होंगे।
अमेरिका के द्वारा चलाए जा रहे जीएसपी कार्यक्रम के तहत भारत बहुत से वस्तुओं का निर्यात करता है। इससे अमेरिकी कंपनियों को अपने प्रोडक्ट की लागत कम होती है। भारत को जीएसपी से बाहर करने से अमेरिका में अनेक उत्पादों के दाम बढ़ना तय है क्योंकि भारत जो सामान निर्यात करता है उससे अमेरिक कंपनियां अन्य प्रोडक्ट निर्माण करती है।इससे अमेरिकी कंपनियां और उपभोक्ता दोनों प्रभावित होंगे।
आखिर ये जीएसपी कार्यक्रम क्या है?
जीएसपी कार्यक्रम 1 जनवरी 1976 को अमेरिका के ट्रेड एक्ट-1974 के तहत शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य दुनिया के विकासशील देशों के निर्यात को बढावा देेेेना था। इसमें शामिल देशों को अमेरिका में उत्पाद बेचने पर किसी भी प्रकार का आयात शुल्क नहीं देना होता है। इस कार्यक्रम में भारत समेत 121 देश शामिल हैं।
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