बुधवार, 24 अप्रैल 2019

2 मई के बाद ईरान से क्रूड आयात करने वाले देशों पर प्रतिबंध लगाएगा अमेरिका

2 मई के बाद ईरान से क्रूड आयात करने वाले देशों पर प्रतिबंध लगाएगा अमेरिका
U.S. President Donald Trump and Hassan Rouhani

अमेरिका 2 मई के बाद ईरान से कच्चे तेल खरीदने की छूट नहीं देगा। अगर कोई देश ईरान से कच्चा तेल खरीदत है तो अमेरिका उस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाएगा। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंम्प के आफिस की तरफ से सोमवार को इस सिलसिले में बयान जारी किया गया। 

अमेरिका ने पिछले साल नवंबर में ईरान के कच्चे तेल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। लेकिन उसने भारत, चीन, जापान सहित आठ देशों को क्रूड आयल खरीदने के अन्य विकल्प तलाशने के लिए 6 महीनों की मोहलत दी थी जो मई में खत्म हो रहा है। जो देश पहले ईरान से क्रूड ऑयल खरीदते थे अब उन देशों को ईरान से तेल खरीदना बंद करना पड़ेगा। अब इन देशों को  क्रूड आयल संयुक्त अरब, संयुक्त अरब अमीरात तथा अन्य तेल उत्पादक देशों से खरीदना पड़ेगा। 

जिन  आठ देशों को तेल खरीदने के दूसरे विकल्प तलाशने की मोहलत दी गई थी उनमें से तीन देश - ग्रीस इटली और ताइवान ने ईरान से तेल खरीदना बंद कर दिया है। अब केवल भारत, चीन, तुर्की, जापान और दक्षिण कोरिया ही खरीद रहे हैं। जापान और दक्षिण कोरिया ईरान के तेल पर ज्यादा निर्भर नहीं हैं। ईरान से सबसे ज्यादा तेल चीन खरीदता है फिर भारत दूसरा सबसे बड़ा खरीददार है।

अमेरिका और ईरान के बीच बरसों पुरानी दुश्मनी है। बराक ओबामा के राष्ट्रपति रहते हुए अमेरिका ने सन् 2015 में ईरान के साथ परमाणु समझौता किया था। डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति बनने के बाद इस सनझौते से अमेरिका को अलग कर दिया था। उनका मानना था कि यह परमाणु संधि त्रुटि पूर्ण है, इस संधि से ईरान को फायदा होगा। अमेरिका का मानना है कि समझौते के बाद भी ईरान ने अपना परमाणु कार्यक्रम जारी रखा है और वह जल्द ही परमाणु हथियार बना लेगा भले ही वह संधि के शर्तों  का पालन करें या ना करे।

ईरान पर क्रूड ऑयल बेचने पर प्रतिबंध लगने से तेल बाजार में प्रतिष्पर्धा कम हो जाएगी फलस्वरूप तेल के दामों में वृद्धि होगी। ईरान पर प्रतिबंध लगाना अमेरिका की एकतरफा और दोषपूर्ण कार्यवाही है। यह प्रतिबंध ऐसे समय लगा है जब भारत  और ईरान के सम्बन्ध प्रगाढ़ हुए हैं। भारत  ईरान में सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण चाबहार बंदरगाह का निर्माण कर रहा है।
 Chabahar Port Project, India Iran Port Project, India Iran Friendship

सोमवार, 22 अप्रैल 2019

क्या इस बार का आम चुनाव नरेंद्र मोदी पर जनमत संग्रह है?

क्या इस बार का आम चुनाव नरेंद्र मोदी पर जनमत संग्रह है?
Narendra Modi's Road Show, Election Rally


भाजपा ने अधिकांश मौजूदा सांसदों के टिकट काटे, प्रचार और घोषणा पत्र में बड़े चेहरे गायब।

2019 का लोकसभा चुनाव 7 चरणों में हो रहा है। अब तक 2 चरण के मतदान हो चुके हैं और 5 चरण के मतदान होने बाकी है। लोकसभा में कुल 543 सीटें है और बहुमत के लिए 272 सीटों की जरूरत पड़ती है। 


कुल 7 चरणों में होंगे मतदान
यह चुनाव सात चरणों में होगा। पहले चरण के लिए 11,दूसरा 18, तीसरा 23, चौथा 29 अप्रैल, पांचवे चरण के लिए 6, छठवें के लिए 12 और सातवें चरण के लिए 19 मई को वोट डाले जाएंगे।

  1. पहले चरण में 20 राज्यों की 91 सीटें,
  2. दूसरे चरण में 13 राज्यों की 97 सीटें,
  3. तीसरे चरण में 14 राज्यों की 115 सीटों पर, 
  4. चौथे चरण में 9 राज्यों की 71 सीटें, 
  5. पांचवे चरण में 7 राज्यों की 51 सीटें,
  6. छठवें चरण में 7 राज्यों की 59 सीटें और
सातवे चरण में 8 राज्यों की 59 सीटों पर मतदान होगा


2014 के चुनाव में भाजपा ने जीते थे 282 सीटें
 Congress vs bhajpa



2014 के लोकसभा चुनाव में यूपीए सरकार के प्रति लोगों में बहुत गुस्सा था इस कारण भाजपा 282 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। 2014 के चुनाव में भाजपा को 282 सीटें, भाजपा के सहयोगी पार्टियों को 54 सीटें मिली थीं, कुल 336 सीटों के साथ एनडीए ने सरकार बनाया। वहीं कांग्रेस को 44 सीटें मिली थीं।


2019 का लोकसभा चुनाव मोदी पर जनमत संग्रह

2014 के चुनाव या उसके पहले हुए लोकसभा बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, भुखमरी आदि मुद्दों पर ही लडा जाता था लेकिन इस बार ऐसा नही है। इस बार तो मोदी हैसबसे बडा फैक्टर है, भाजपा के संकल्प पत्र में केवल नरेंद्र मोदी का चित्र है सभी बड़े नेताओं के चित्र गायब हैं जबकि पिछले चुनावों के घोषणा पत्रों में सभी बड़े नेताओं के चित्र छापे जाते थे। वहीं पार्टी के सम्मेलनों में भी वरिष्ठ नेताए नहीं दिखते। भाजपा का इस बार का चुनावी नारा भी मोदी पर ही केन्द्रित है- मोदी है तो मुमकिन है। भाजपा सरकार के इन 5 सालों में ऐसा कोई उपलब्धि नहीं है जिसे वह बखान कर सके और उस मुद्दे पर चुनाव लड़ सके सिवाय सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक के। भाजपा के पास कोई मुद्दा ही नहीं है जिसमें वो चुनाव लड़ सके। इस कारण भाजपा सभी मुद्दों को दरकिनार करके मोदी को आगे लाया है, इसके पीछे एक कारण मोदी का दमदार छवि, बातों से लोगों का दिल जीत लेना और हवा का रुख अपने तरफ मोड़ लेने का गुण मोदी को आगे लाने का कारण है। मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के रूप में प्रचार किए गए प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्जवला योजना, जनधन योजना की बात आज नहीं हो रहा क्युकी ये प्रोजेक्ट इतने सफल नहीं हो पाए जितना कि सोचा गया था।मोदी ने कुछ अच्छी योंजनाए लॉन्च तो की साथ ही लोगो की मेहनत से कमाई व्हाइट पैसे को और अर्थव्यवस्था को बरबाद करने वाले नोटबंन्दी और जीएसटी लॉन्च की। इस चुनाव में भापजा सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक के नाम पर वोट मांग रही है। भाजपा ने सरकार में आने से पहले कहा था  कि  उनकी पार्टी देश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाएगी लेकिन  भाजपा के शासन काल में देश की अर्थव्यवस्था बहुत धीमी गति से बढ़ रही है।2014 के चुनाव में भापजा ने बहुत बड़े बड़े वादे किए थे जिन्हें पूरा नहीं किया गया और आज उन वादों को भुला दिया गया है, शायद इन्हीं वजहों से भाजपा मूल मुद्दों को भूलकर मोदी को आगे खड़ा करके चुनाव लद रही है।

शनिवार, 20 अप्रैल 2019

भारतीय नौसना के युद्धपोत चीन में दिखाएंगे अपनी ताकत

भारतीय नौसेना के युद्धपोत चीन में दिखाएंगे अपनी ताकत

भारतीय नौसेना के दो युद्धपोत आईएनएस कोलकाता और आईएनएस शक्ति चीन की नौसेना के 70 वें वर्षगांठ समारोह के सिलसिले में 21 अप्रैल को हो रहे अन्तर्राष्ट्रीय फ्लीट रिव्यू (आइएफआर ) में चीन के किंगदाओ में मौजूद रहेंगे। सेना के प्रवक्ता कैप्टन डीके शर्मा ने बताया कि किंगदाओ में आईएफआर में भारतीय नौसेना का प्रतिनिधित्व स्वदेश निर्मित स्टेल्थ गाइडेड मिसाइल विध्वंशक आईएनएस कोलकाता और फ्लीट सपोर्ट पोत आईएनएस शक्ति द्वारा किया जाएगा।


Naval ship to countries around the world in International Fleet Review


आईएनएस कोलकाता और आईएनएस शक्ति

आईएनएस कोलकाता नौसेना युद्ध के सभी आयामों में खतरों से निपटने के लिए अत्याधुनिक हथियारों और संवेदकों से लैस है।
 Indian Navy Ship, INS Kolkata

आईएनएस शक्ति एक पुनः पूर्ति पोत है जो 27000 टन से अधिक डिसप्लेस करने वाले सबसे बड़े टैंकरों में से एक है और यह 15000 टन तरल माल तथा खाद्यानों एवं गोला बारूद सहित 500 टन से अधिक ठोस माल ढो सकता है। भारतीय नौसेना के सबसे शक्तिशाली विध्वंशक और फ्लीट सपोर्ट पोत की यात्रा भारत की ताकत, स्वदेशी पोत निर्माण क्षमता को प्रदर्शित करता है।

Indian Navy's Warships, INS Shakti


नौसेना के पराक्रम का अवलोकन करेगें राष्ट्रपति और अधिकारी

भारतीय नौसैनिक पोतों के चीन प्रवास के दौरान प्रतिभागी नौसेनाओं के अधिकारियों के परस्पर बातचीत, चीनी नौसेना के विभिन्न गणमान्य व्यक्तियों तथा सरकारी अधिकारियों के साथ वार्ता, व्यावसायिक आदान प्रदान तथा विभिन्न प्रकार के खेल स्पर्धाओं आयोजन किया जाएगा। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग 23 अप्रैल को इनका अवलोकन करेगें।

 Chinese President Xi Jinping inspecting Chinese army



60 से अधिक देश कार्यक्रम में शामिल होंगे



चीन के रक्षा प्रवक्ता ने बताया कि इस अन्तर्राष्ट्रीय फ्लीट रिव्यू में 60 से अधिक देश कार्यक्रम में शामिल होंगे। आईएफआर नौसेना जहाजों, विमानों एवं पनडुब्बियों का एक परेड है और इसका आयोजन राष्ट्रों द्वारा सद्भावना को बढ़ावा देने, सहयोग को मजबूत बनाने और उनकी संगठनात्मक क्षमताओं को प्रदर्शित करने के लिए किया जाता है। देश अपनी नौसेना के ताकत का प्रसारकरते है।



भारत के पास अवसर 

भारत के  पास बड़ा अवसर है कि वह आइएफआऱ के माध्यम से चीन और पाकिस्तान को अपनी नौसैनिक क्षमता  को दिखा सके और उसे यह बता सके कि वह दोनों देशों के साथ युद्ध लड़ने और जितने कि काबिलियत रखता है।

गुरुवार, 18 अप्रैल 2019

क्या हम सब भारतीय सच्चे देशभक्त हैं?

क्या हम भारतीय सच्चे देशभक्त हैं?
हेल्लो दोस्तों मैं हूं पंकज कुमार और  मेरे ब्लॉग  india first pk मे आपका स्वागत है। दोस्तों आज यह मेरा पहला ब्लॉग है और इसके साथ ही आज मै अपने ब्लॉगिंग कैरियर की शुरुआत कर रहा हूं।
  

जैसा कि आप सभी जानते हैं  कि अभी भारत में लोकसभा चुनाव चल रहा है और इस बार के चुनाव में सभी बड़े मुद्दे गायब हो गए हैं इस बार सबसे बड़ा मुद्दा देशभक्ति  का है। मोदी सरकार देशभक्ति के नाम पर विपक्ष पर हमला बोल रहा है  वहीं विपक्ष भ्रष्टाचार, किसानों की स्थिति, बेरोजगारी, राफेल मुद्दे पर सरकार को घेर रहा है। 
देशभक्ति का मुद्दा तब जोर  पकड़ा जब भारतीय सेना  ने  पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक किया।सर्जिकल स्ट्राइक के बाद विपक्ष ने स्ट्राइक के सबूत मांगे थे  तब सरकार ने  विपक्ष पर देशद्रोह और आतंकियों की भाषा बोलने का आरोप लगाया था।  इस बार के चुनाव में सभी बड़े मुद्दे जैसे  राफेल लड़ाकू विमान घोटाला, बेरोजगारी, नोटबंदी, महगांई, किसानों की स्थिति, जीएसटी आदि मुद्दों पर देशभक्ति का मुद्दा हावी है।
Indian Army, Flag of India, Patriotism




क्या  हम वास्तव में देशभक्त हैं?
इस सवाल का जवाब सब हां में देगे लेकिन इस पर सबको गहराई से सोचने की जरूरत है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि हम देश के लिए क्या कर रहे हैं, हम ऐसा कौन सा काम कर रहे हैं जिससे कि देश का भला होता हो। क्या हम संविधान का पालन कर रहे हैं? क्या हम नियम कानून का पालन करते हैं। 90% से ज्यादा लोग नियमों का पालन नहीं करते, तो हम कैसे देश भक्त हैं?
 The constitution of India


क्या कारण हैं जो हमें सच्चा देशभक्त बनने से रोक रहा है।
हम अपने रोजमर्रा की जिन्दगी में ऐसे काम कर जाते हैं जिससे देश को नुकसान होता हो, नियमों का उल्लघंन करते हैं इससे हमें तो फायदा पहुंचता है लेकिन इससे देश को भारी नुकसान होता है। निम्न बाते जो हमे सच्चा देशभक्त बनने से रोक रहा है-
  •  संविधान में निहित नियम और कानून का सही तरीके से पालन न करना।
  • स्वदेशी उत्पादों का उपयोग नहीं किया जाना।
     Boycott of China's products, Baning Chinese goods in India
  • चाइना में बने उत्पाद या चाइनीज कम्पनियों के उत्पाद का उपयोग करना।
  • अपना आय कम बताकर सरकार को टैक्स ना देना, टैक्स चोरी करना।
  • दिनों दिन बढ़ते अपराध।
  • भारत में जन्म लेकर विदेशी नौकरी के लिए विदेशी नागरिकता लेकर विदेश में ही टैक्स भरना।
  • अच्छी खासी सैलरी के लिए देश में नौकरी न करके विदेशी संस्थानों में नौकरी करना।
अपनी मांगो को पूरी करवाने के लिए हिंसा का सहारा लेना, बसो, गाड़ियों, रेल, किसी निर्दोष व्यक्ति के घर को आग देना ।

 इसके कारण देश को हो रहा नुकसान - 
लोग सोचेगे की चाइनीज कम्पनियों के उत्पाद इस्तेमाल करने से कोई कैसे देशद्रोह हो गया लेकिन जरा सोचे चीन हमें कितना नुकसान पहुंचा रहा है। चीन और भारत के बीच 2 बार युद्ध हो चुका है, चीन ने हमारे देश के बहुत बड़े भूभाग पर कब्जा किया हुआ है।चीन हमें नुकसान पहुंचा रहा है वहीं हम लोग चीन को फायदा पहुंचा रहे हैं। स्वदेशी उत्पादों का उपयोग नहीं करने के कारण देश की अर्थव्यवस्था बहुत कम है।  कोई भी व्यक्ति जिसका सपना अंतरिक्ष वैज्ञानिक बनने का हो तो वह इसरो में वैज्ञानिक बनना नहीं चाहता बल्कि उसका सपना नासा में काम करने का होता है। इससे देश का भला कैसे होगा । ये बात देशवासियों को ही तय करना है कि वे देश का विकास, सम्पन्नता, अमीरी देखना चाहते है या गरीबी, भुखमरी, और सर्वनाश..........