2 मई के बाद ईरान से क्रूड आयात करने वाले देशों पर प्रतिबंध लगाएगा अमेरिका
अमेरिका 2 मई के बाद ईरान से कच्चे तेल खरीदने की छूट नहीं देगा। अगर कोई देश ईरान से कच्चा तेल खरीदत है तो अमेरिका उस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाएगा। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंम्प के आफिस की तरफ से सोमवार को इस सिलसिले में बयान जारी किया गया।
अमेरिका ने पिछले साल नवंबर में ईरान के कच्चे तेल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। लेकिन उसने भारत, चीन, जापान सहित आठ देशों को क्रूड आयल खरीदने के अन्य विकल्प तलाशने के लिए 6 महीनों की मोहलत दी थी जो मई में खत्म हो रहा है। जो देश पहले ईरान से क्रूड ऑयल खरीदते थे अब उन देशों को ईरान से तेल खरीदना बंद करना पड़ेगा। अब इन देशों को क्रूड आयल संयुक्त अरब, संयुक्त अरब अमीरात तथा अन्य तेल उत्पादक देशों से खरीदना पड़ेगा।
जिन आठ देशों को तेल खरीदने के दूसरे विकल्प तलाशने की मोहलत दी गई थी उनमें से तीन देश - ग्रीस इटली और ताइवान ने ईरान से तेल खरीदना बंद कर दिया है। अब केवल भारत, चीन, तुर्की, जापान और दक्षिण कोरिया ही खरीद रहे हैं। जापान और दक्षिण कोरिया ईरान के तेल पर ज्यादा निर्भर नहीं हैं। ईरान से सबसे ज्यादा तेल चीन खरीदता है फिर भारत दूसरा सबसे बड़ा खरीददार है।
अमेरिका और ईरान के बीच बरसों पुरानी दुश्मनी है। बराक ओबामा के राष्ट्रपति रहते हुए अमेरिका ने सन् 2015 में ईरान के साथ परमाणु समझौता किया था। डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति बनने के बाद इस सनझौते से अमेरिका को अलग कर दिया था। उनका मानना था कि यह परमाणु संधि त्रुटि पूर्ण है, इस संधि से ईरान को फायदा होगा। अमेरिका का मानना है कि समझौते के बाद भी ईरान ने अपना परमाणु कार्यक्रम जारी रखा है और वह जल्द ही परमाणु हथियार बना लेगा भले ही वह संधि के शर्तों का पालन करें या ना करे।
ईरान पर क्रूड ऑयल बेचने पर प्रतिबंध लगने से तेल बाजार में प्रतिष्पर्धा कम हो जाएगी फलस्वरूप तेल के दामों में वृद्धि होगी। ईरान पर प्रतिबंध लगाना अमेरिका की एकतरफा और दोषपूर्ण कार्यवाही है। यह प्रतिबंध ऐसे समय लगा है जब भारत और ईरान के सम्बन्ध प्रगाढ़ हुए हैं। भारत ईरान में सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण चाबहार बंदरगाह का निर्माण कर रहा है।
अमेरिका और ईरान के बीच बरसों पुरानी दुश्मनी है। बराक ओबामा के राष्ट्रपति रहते हुए अमेरिका ने सन् 2015 में ईरान के साथ परमाणु समझौता किया था। डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति बनने के बाद इस सनझौते से अमेरिका को अलग कर दिया था। उनका मानना था कि यह परमाणु संधि त्रुटि पूर्ण है, इस संधि से ईरान को फायदा होगा। अमेरिका का मानना है कि समझौते के बाद भी ईरान ने अपना परमाणु कार्यक्रम जारी रखा है और वह जल्द ही परमाणु हथियार बना लेगा भले ही वह संधि के शर्तों का पालन करें या ना करे।
ईरान पर क्रूड ऑयल बेचने पर प्रतिबंध लगने से तेल बाजार में प्रतिष्पर्धा कम हो जाएगी फलस्वरूप तेल के दामों में वृद्धि होगी। ईरान पर प्रतिबंध लगाना अमेरिका की एकतरफा और दोषपूर्ण कार्यवाही है। यह प्रतिबंध ऐसे समय लगा है जब भारत और ईरान के सम्बन्ध प्रगाढ़ हुए हैं। भारत ईरान में सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण चाबहार बंदरगाह का निर्माण कर रहा है।
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